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भोपाल

इस बैंक में छिपे हैं कई राज, फंस सकते हैं एमपी के बड़े नेता

खबर है कि वासवानी ने पत्नी के बैंक समेत अन्य कई सहकारी बैंकों में नेताओं, बिल्डरों और बड़ा ओहदा रखने वाले लोगों का कालाधन सफेद कराने में अहम भूमिका निभाई। 

भोपालDec 22, 2016 / 04:27 pm

Anwar Khan

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भोपाल। नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने का खेल पूरे देश में तेजी से हुआ। मध्यप्रदेश में भी इस खेल को धड़ल्ले से अंजाम दिया गया। कई छोटे काले चोरों के नाम सामने भी आए। कई छापों में बेदाग चेहरों पर भी दाग लग गए। पर, दो दिन पहले जो मामला भोपाल में सामने आया है, उसमें एमपी के कई बड़े नेताओं की मुश्किल बढ़ सकती है। आइए हम बताते हैं क्या है ये पूरा मामला…




इस एक नाम के पीछे छिपे कई राज
दो दिन पहले आयकर विभाग की टीम ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील वासवानी के घर व दफ्तर पर छापा मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए थे। सुशील की एमपी बीजेपी में खासी पैठ है और वे राज्य आवास संघ के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी पत्नी किरण भोपाल के बैरागढ़ स्थित महानगर बैंक की चेयरमैंन हैं। खबर है कि वासवानी ने पत्नी के बैंक समेत अन्य कई सहकारी बैंकों में नेताओं, बिल्डरों और बड़ा ओहदा रखने वाले लोगों का कालाधन सफेद कराने में अहम भूमिका निभाई। आयकर विभाग की जांच में प्राथमिक रूप में पता चला कि महानगर सहकारी बैंक में नोटबंदी के फैसले के बाद 10 से 15 नवंबर के बीच 100 से अधिक बैंक खाते खोले गए। इनमें करीब दो दर्जन बैंक खातों में एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा की गई। आयकर विभाग हैरान है कि आखिर एक दर्जन खातों में दो दिन में ही इतनी राशि कहां से जमा हो गई? आखिर ये पैसा किसका है?





मंत्री बोले- ऐसे नहीं हैं वासवानी
भोपाल से विधायक और एमपी के मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने एक दिन पहले इस मामले में बयान दिया। वासवानी के सहकारी बैंक के बोर्ड में शामिल मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा है कि बैंक में सारा कामकाज आरबीआई के तय मापदंडों के अनुसार होता है। वे 1992 से बैंक से जुड़े हैं। उसके बाद से 24 सालों से लगातार उसकी वार्षिक साधारण सभा में शामिल होते आए हैं। उन्हें कभी भी कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई दी।




संघ से जुड़े लोगों के भी हो सकते हैं पैसे
विभागीय सूत्रों ने संभावना व्यक्त की है कि बैंक में कई ऐसे लोगों के एकाउंट भी हो सकते हैं जो संघ से जुड़े हुए हैं। बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में कई नेता भी शामिल है। नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपए को खपाने का बैंक अच्छा जरिया था। इसे आधार बनाकर भी टीम जांच कर रही है। बैंक में 8 से 15 नवंबर के बीच करोड़ों रुपए जमा हुए है। 

 करोड़ों के आसामी हैं वासवानी
– एमपी नगर में सुदर्शन होटल 
– मिसरोद रोड पर कार का बेहतरीन शोरूम 
– बैरागढ़ में नेहरू पार्क के पास दो मंजिला मकान 
– नर्सरी क्षेत्र में दूसरा मकान 
– निरंकारी रोड पर भी एक मकान 
– हलालपुरा क्षेत्र में सुदर्शन पैलेस होटल 
– हलालपुरा में कंटेनर बनाने की इकाई
– हमीदिया रोड पर भी संपत्ति होने की जानकारी मिली





पारिवारिक पृष्ठभूमि
– वासवानी के तीन भाई हरीश, नरेश एवं सुरेश हैं।
– बहू दीपा वार्ड 5 की पार्षद है।
– वासवानी का परिवार पीढिय़ों से संघ से जुड़ा हुआ है।

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